गुजरात की सरिता गायकवाड के बारे में महत्व की जानकारी।

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सरिता गायकवाड का परिचय :

सरिता गायकवाड यह देश की एक एसी बेटी है जिसने अपने साथ-साथ अपने परिवार, अपना गाँव, अपना जिला, अपना राज्य और अपने देश को अंतराष्ट्री स्तर पर गर्व दिलाया है। जिसने अपने देश को एशियन गेम्स मे गोल्ड मेडल दिलाया।

“मंझीले उसे ही मिलती है, जिसके हौसलों मे जान होती है,

पंखो से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है”।

आइए जानते है, गोल्डन गर्ल के नाम से पहचाने जाने वाली गुजरात राज्य के डांग जिले के एक छोटे से गाव मे रहने वाली सरिता गायकवाड के जीवन के बारेमे।

गुजरात की सरिता गायकवाड के बारे में महत्व की जानकारी।
गुजरात की सरिता गायकवाड के बारे में महत्व की जानकारी।

सरिता गायकवाड का जन्म कब और कहा हुआ?

सरिता गायकवाड का जन्म 1 जून 1994 को गुजरात राज्य के आदिवासी विस्तार डांग जिले के एक छोटे से गाँव करड़ीआंबा मे हुआ था। जहा पर जन्मी कई लड्कीओ को खेल मे ज़्यादातर रुचि होती है।

सरिता गायकवाड का प्रारम्भिक जीवन :

सरिता के पिता का नाम लक्ष्मण भाई और माता का नाम रेमू बेन है। जो एक खेतिहर मजदूर है, जो दिन के 80 से 100 रुपे कमाते है। सरिता एक एसे विस्तार मे पली-बढ़ी है जहा पर पानी के लिए 5 किलोमीटर चल कर जाना पड़ता था।

सरिता ने अपना प्रारम्भिक अभ्यास पहली से चौथी कक्षा तक अपने गाव मे ही किया था। उसके बाद वह संकल स्कूल मे गई। वहा पर उसने सातवीं तक पढ़ाई की फिर उसने हॉस्टल मे 12 वीं तक पढ़ाई की। फिर गुजरात के चिखली मे अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।

सरिता के स्कूल कॉलेज के शिक्षक और कोच के मार्गदर्शन से उसने अपने अंदर के जोश को बाहर दिखाया और आगे बढ़ी। जब उस समय के गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदीजी थे उन्होने खेलमहाकुंभ का आरंभ किया था, तब उसमे सरिता ने भी हिस्सा लिया जिससे सरिता को बहुत कुछ सीखना मिला।  

सरिता ने गुजरात राज्य की ओर से राष्ट्रीय स्तर की खो-खो प्रतियोगिता में वर्ष 2010 तक भाग लिया था। उसके बाद सरिता ने दौड़ वीर के रूप मे भाग लिया।

बहुत ही गरीबी मे अपना जीवन व्यतीत करने वाली सरिता ने पैसो की कमी से अपने माँ-पिताजी को रोते देखा है। सरिता के अलावा दो भाई-बहन और भी है, जिनकी पढ़ाई के लिए पैसो की बहुत जरूरत पड़ती थी।

सरिता के कहने के अनुसार उनके माता-पिता ने उसे खुल्ला छोड़ दिया था, अर्थात उसे जो इच्छा हो वह करने की अनुमति दे दी थी। सरिता मे जो प्रतिभा थी उसे दिखाने का मौका उसने नहीं छोड़ा और उसने अपनी काबिलियत को दुनिया कों दिखाया।

सरिता के बारे में व्यक्तिगत जानकारी :

  • सरिता का पूरा नाम सरिताबेन लक्ष्मणभाई गायकवाड है।
  • उसका जन्म 1 जून 1994 को गुजरात के डांग जिले के कराडीआंबा गाव मे हुआ था।
  • सरिता की ऊंचाई 168 cm (5 फिट 6 इंच) और वजन 58 kg ।
  • सरिता की रमत ट्रैक और फील्ड है। इसकी प्रतिस्पर्धा 400 मीटर और 400 मीटर बाधा दौड़ है।
  • सरिता के कोच के.एस. अजिमोना थे।

सरिता ने एशियन गेम्स मे गोल्ड मेडल जीता :

सरिता साल 2010 तक खो-खो खेल रही थी लेकिन 2011 मे उसके कोच की सलाह से उसने एथलेटिक्स मे अपना नसीब आझमाया।

फिर उसने 400 मीटर बाधा दौड़ और 400 मीटर रेस की विशेषज्ञ बनी। साल 2018 मे ऑस्ट्रेलिया मे आयोजित किए गए कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए सरिता को 4×400 मीटर की रिले रेस के लिए पसंद किया गया। इस टिम मे जगह बनाने वाली वह पहली गुजराती थी।

एशियन गेम्स मे 400 मीटर की रिले दौड़ मे सरिता ने भारत को गोल्ड मेडल जीताया।  सरिता गायकवाड ने अपने हुनर से विदेशो मे भारत का झण्डा लहरा दिया।

पुलिस उप प्रमुख के रूप में सरित की नियुक्ति :

गुजरात राज्य सरकार के गृह विभाग ने सरिता को डी.वाय.एस.पी. के पद पर नियुक्त किया गया। जिससे समग्र डांग जिले मे और आदिवासी समाज मे खुशी की लगर छा गई। सरिता गायकवाड़ जिले के सभी महिला और पुरुषो के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी रही है।

सरिता के पास बहुत सारे ऑप्शन थे लेकिन उसने इसी डिपार्टमेन्ट को पसंद किया, क्योंकि सरिता के अनुसार जिस प्रकार देश के जवान सरहद पर रहकर देश की सेवा करते है उसी प्रकार सरिता को भी देशी सेवा करने का मौका मिला था। इस लिए उसने इसी डिपार्टमेन्ट को पसंद किया।

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