‘श्रीमद भगवद्दगीता’ परिचय :
‘श्रीमद भगवद्दगीता’ ज्ञानयुक्त संवाद है। श्रीकृष्ण भगवानने अर्जुन को जो ज्ञानदर्शन कराया था, वह ज्ञान हमारे लिए ‘मोक्ष’ का साधन बन गया है। भगवान श्रीकृष्ण तो खुद ही एक ज्ञानस्वरूप है वह तो आप जानते ही होगे, साथ ही अर्जुन को भी ‘ज्ञानिपुरुष’ माना जाता है ।
यह दोनों ज्ञानी विभूति के संवाद को समझना हम सभी के लिए शायद बहुत ही कठिन हो जाएगा।
यहा पर हमने ‘श्रीमद भगवद्दगीता’ मे जो भगवान कृष्ण के लिए उल्लेख किए गए दिव्य नाम है, वह सभी नाम हमने ढूंढ कर निकाले है।
शायद यह सभी नाम आप जानते ही होगे, अगर नहीं जानते होगे तो आपको यह सभी नाम जो हमने यहा पर लिखे है वह सभी नाम जरूर याद कर लेने चाहिए।
भगवान श्री कृष्ण के दिव्य नाम :
- अनंतरूप : जिसके अनंत रूप हैं।
- अच्युत : जिसका कभी क्षय या पतन न हो।
- अरिसुदन : शत्रु के प्रयास के बिना विनाशक।
- कृष्ण : कृष – आधिकारिक है और ण – आनंददायक है। यह दोनों के एकीकृत परब्रह्म भी कृष्ण ही कहा जाता है।
- केशव : के – ब्रह्मा और ईश (शिव) को प्रेम करता है।
- केशिनिसुदन : केशी नामक दैत्य का संहारक कर ने वाला।
- कमलपत्राक्ष : कमल के पत्तों जैसी सुंदर आंखों वाले।
- गोविंद : यानि जो वेदांत वाक्यों के माध्यम से जाना जा सकता है वह।
- जगतपति: सारी दुनिया के भगवान।
- जगनिवास : पूरे संसार का निवास जिन मे हो वह, जो समग्र संसार मे व्याप्त है वह।
- जनार्दन : दुष्टों या भक्तों के शत्रु का नाश करने वाला।
- देवदेव : देवताओं के पूजनीय।
- देववर : सभी देवताओ मे श्रेष्ठ।
- पुरुषोत्तम : चरित्र अथवा किसी भी वस्तुओ मे सबसे सर्व श्रेष्ठ है वह, या जो पुरुष शरीर की परिपूर्णता में रहते हैं, और जीवो मे सब से श्रेष्ठ है वह।
- भगवान : धर्म, यश, लक्ष्मी, वैराग्य, ऐश्वर्य, और मोक्ष, इन छह वस्तुओं के प्रदाता। साथ ही सभी भूतों की उत्पत्ति, प्रलय, जन्म, मृत्यु तथा विद्या और अविद्या के ज्ञाता हैं।
- भूतेश : भूतों का देवता।
- मधुसूदन : मधु नामक दैत्य का संहारक।
- महाबाहु : जिनके हाथ संयम और कृपा के लिए अविश्वसनीय रूप से सक्षम हैं वह।
- माधव : माया के जानकार।
- यादव : यदुकुल में जन्मे।
- योगवित्तम : योग जानने वालों में श्रेष्ठ।
- वासुदेव : वसुदेव के सुपुत्र।
- वाश्र्णेय : वृष्णि गोत्र वाले।
- विष्णु : सर्व व्यापी।
- हृषिकेश : इंद्रियों के स्वामी।
- हरि : सांसारिक दुखों का नाश करने वाला।