जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन का पर्व।
यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन पर मनाया जाने वाला एक धार्मिक त्यौहार है। पूरे भारत देश मे भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
अपनी बहन के नवजात शिशु को राजा कंस क्यों मारना चाहता था ?
पुराणो मे कंस को राक्षक के रूप मे बताया गया है। कंस ने अपने पिता राजा उग्रसेन को राजगद्दी से हटाकर वो खुद मथुरा के राजा के रूप मे खड़ा हो गया। वह अपनी बहन देवकी से ज्यादा लगाव और स्नेह रखता था। इस कारण कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह अपने दोस्त वसुदेव से करने का तय कर लिया।
अपनी बहन का विवाह होने के बाद अपनी बहन से ज्यादा स्नेह होने के कारण राजा कंस खुद रथ के सारथी बन कर अपनी बहन को अपने ससुराल छोडने गया।
वह तीनों रथ मे सवार होकर जा रहे थे, तब बीच रास्ते मे अचानक अवकाश से बिजली गिरने लगी, पूरा मौसम बदल गया बादल गरजने के साथ-साथ बारिश आने लगी। उसी समय वहा अवकाश से एक आकाशवाणी हुई,
“हे राजा कंस, तू जिसे विदा करने जा रहा है उसी का आठवा पुत्र तेरी मृत्यु का कारण बनेगा”।
आकाशवाणी सुन कर कंस भयभीत हो गया और बोलने लगा की वह अपनी बहन को ही मार देगा तो उसके बच्चे होने की नोबत ही नहीं आएगी। तब वसुदेव ने हाथ जोड़कर राजा कंस से कहा की देवकी तो तुम्हारी बहन है, इसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। वह बच्चे ने तो अभी जन्म भी नहीं लिया है।
कंस उसकी बहन को मारने ही वाला था, उसी समय वसुदेव कंस को वचन देता है की उस बच्चे का जन्म होते ही वह बच्चा उसे दे देगा।
वसुदेव की बात कंस ने मान ली और उसी समय रथ को वापस मथुरा ले आया, मथुरामे आकर राजा कंस ने अपनी बहन और बहनोई वसुदेव को कारागार मे रखा।
मथुरा के कारागार मे जन्म लेकर भगवान श्री कृष्ण गोकुल कैसे पहुचे ?
मथुरा का राजा कंस बड़ाही क्रूर और घातकी था। उसने अपनी सगी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को कारागार मे बंध कर दिया।
कंस ने अपनी मृत्यु के भय से बहन देवकी के 6 बच्चो को बड़ी क्रूरता पूर्वक मारडाला था। देवकी की सातवी संतान बलराम था, श्री कृष्ण अपने माता-पिता की 8वी संतान थे। भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार मे हुआ।
श्री कृष्ण के जन्म के बाद उनके माता-पिता को यह डर सता रहा था की कंस उनके 8वे बच्चे को मार ना डाले, तभी दैवीशक्ति से कारागार का दरवाज़ा खुल जाता है, वहा पहरा देने वाले सभी सैनिक गण गहरी नींद मे सो जाते है, तुरंत ही वसुदेव बालक श्री कृष्ण को एक टोकरी मे रखकर अपने परम मित्र नंदजी के घर रखने जाता है।
उस रात बरिस भी बहुत थी, परंतु किसिभी प्रकार से श्री कृष्ण को कंस के अत्याचार से दूर रखना था। इसीलिए वसुदेव वह टोकरी को अपने सिर पर रख कर चल पड़े, किन्तु गोकुल और मथुरा के रास्ते के बीच मे यमुना नदी पार करनी होती है,
उस रात नदी मे पानी बहुत था। लेकिन वसुदेव बिना डरे श्री कृष्ण को लेकर नदी मे उतरते है, पानी शिर तक पहुच गया था और शिर पर श्री कृष्ण थे, जब नदी के पानी ने भगवान श्री कृष्ण के पैर को छु लिया तो वो शांत हो गई और वसुदेव को रास्ता देने लगी।
जब वसुदेव नंदजी के घर पहुचे और उनसे अपनी सारी बात बताई, नंदजी अपने परम मित्र वसुदेव की विवशता को समज गए, और श्री कृष्ण को अपने घर रख कर बड़ा करने को कहा। तभी यशोदा ने भी एक बच्ची को जन्म दिया, नंद ने यशोदा को सारी बात बताई।
तब यशोदा ने सोचा की कंस अपनी सखी देवकी पर अत्याचार करेगा, इसलिए यशोदा ने वसुदेव को अपनी नवजात बच्ची को साथ मे लेजाने के लिए कहा।
वसुदेव नंद और यशोदा की बच्ची को साथ लेकर वापस मथुरा के कारागार मे आ गए। जब कंस को देवकी के 8वे बच्चे का पता चला तो वह तत्काल कारागार मे पाहुचा,
और देवकी के बच्चे को ले लिया तब वसुदेव बोले, येतो बालिका है उससे आपको कोई भय नहीं, किन्तु कंस नहीं माना और उस बच्ची को नीचे पटक ने के लिए उसे उठाया तभी वह बच्ची आकाश मे उड गई और कहा की “हे कंस, तू क्या मुझे मारेगा, तुझे मारनेवाला तो गोकुल मे बड़ा हो रहा है”।
हमारे देश मे श्री कृष्णजन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है ?
पुरणों और कथाओ मे कहा गया है की भगवान श्री कृष्ण का जन्म भद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के मध्यरात्री मे कंस के विनाश करने के लिए जन्म हुआ था।
इसलिए यह रात्री मे भक्तो द्वारा श्री कृष्ण के मंदिरो को सजाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण के भक्त इस दिन व्रत रखते है, और भगवान के नाम का जप करते है।
भगवान श्री कृष्ण के लिए झांकिया सजा कर उसे झूले पर बेठा कर झुलाया जाता है और भजन-कीर्तन किए जाते है।
मध्यरात्री होने पर रासलीला और मटकी फोड़ने का भी भक्तो द्वारा आयोजन किया जाता है।
इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी मे जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।