दोस्ती क्या होती है ?
सच्ची दोस्ती कभी खत्म नहीं होती। दोस्ती एक पौधा है जिसे हमें अक्सर प्यार और देखभाल के साथ पानी देना चाहिए।
जब सच्चा दोस्त मिलता है तो दिल को बहुत खुशी मिलती है।
दोस्ती … एक बंधन है, एक रिश्ता है, एक एहसास है, जो किसी भी मुसीबत के समय मे हमारा साथ नहीं छोडता। कितना भी मुश्किल समय हो सच्चा दोस्त अपने प्यार और संवेदना से वो अपने दोस्त के साथ हमेशा रहता है।
सच्ची दोस्ती कुछ समय के लिए नहीं होती, वो तो स्थायी होती है।
इस दुनिया मे एक सच्चा दोस्त मिल जाए तो यह दुनिया आपको अपनी लगने लगती है।
जो दोस्त आपकी दोस्ती मे खुदकों समर्पित करता है उसे कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए।
सच्चे दोस्त की सच्चाई :
एक सच्चा दोस्त हमेशा बुरे समय के दौरान भी आपके प्रति वफादार रहता है। वह दोस्त विश्वसनीय है … आप हमेशा उस पर भरोसा कर सकते हैं। एक सच्चा दोस्त ही दूसरे दोस्त को काम आता है।
एक सच्चा दोस्त आपको अपना सर्वश्रेष्ठ करने और महान चीजों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
एक दोस्त वह है जो आप पर विश्वास करता है, जब आप मे आत्मविश्वास कम हो जाए तो वह सच्चा दोस्त आपको अपने ज्ञान के कोमल शब्दों से आपको यह चुनने में मदद करता है कि किस रास्ते पर जाना है।
जब अच्छे और सच्चे दोस्त मिलते है तो हमारा जीवन सार्थक हो जाता है। वह दोस्त हमे सुकून देता है। हमारे जीवन को खुशी से भर देता है।
जब हमारे जीवन मे हताशा के काले बादल छा जाए तब हम किसी एसी व्यक्ति को ढूंढते है, जो हमारे जीवन मे आई समस्याओ से हमे निकाल सके, तब मानों कोई उपहार की तरह एक सच्चा दोस्त हमारे साथ खड़ा रहता है,और हमारे जीवन आई समस्या को कम करने की कोशिश करता है।
एक सच्चा दोस्त एक अनमोल उपहार है, जिसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है, जिसका मूल्य सोने से बने पहाड़ की तुलना में कहीं अधिक है।
सच्चे दोस्त हमारे आनंद और दर्द मे हमेशा हमारे साथ रहते है, हमारी आशाओ और हमारे सपने का ख्याल करते है।
दोस्ती का महत्व :
इस जीवन को सफल बनाने के लिए एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता रहती है।
सहानुभूति दोस्ती का गठन करती है, जहा पाक्स-पात की कोई जगह नहीं होती, किसी भी विरोधियो को एक साथ मिल के सामना करते है।
कभी- कभी सच्चे दोस्त को जानने मे बहुत समय लग जाता है,शायद उसे खोने के बाद उसका मूल्य समझ मे आता है।
सच्चे दोस्त एक मधुर संगीत की तरह होते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हितकारक होता है।
हम इस दुनिया के जंगल में सभी यात्री हैं, और हमारी यात्रा में जो सबसे अच्छा मिल सकता है, वह एक ईमानदार दोस्त है।
हमे अपने दोस्त पर गर्व होना चाहिए, यदि किसी व्यक्ति को अपने मित्र पर गर्व नहीं है, तो उसे किस बात पर गर्व हो सकता है?
हमेसा एक दोस्त अपने दूसरे दोस्त के भविष्य के बारे मे सोचता है,और उसे आगे बढ्ने मे मदद करता है। एक सच्चा दोस्त चाहता है, मेरे पीछे मत चलो, मैं नेतृत्व नहीं कर सकता, मेरे सामने मत चलो, मैं पालन नहीं कर सकता, बस मेरे साथ चलो और मेरे दोस्त बने रहो।
सच्चे दोस्त की एक कहानी :
राजा और केशव दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। उन दोनों की दोस्ती स्कूल मे हुई थी, और आज वो दोनों कॉलेज मे भी साथ ही पढ़ाई कर रहे थे। राजा गरीब परिवार का था, और केशव के घर मे पैसो की कोई कमी नहीं थी। जब भी राजा को पैसो की जरूरत पड़ी तब-तब केशव ने उसकी मदद की, और कभी भी राजा से पैसे वापस नहीं मांगे।
केशव को उसकी कॉलेज मे पढ़ रही रागिनी नाम की लड़की बहुत पसंद थी। रागिनी दिखने मे भी अच्छी थी और पढ़ाई मे भी होशियार थी।
धीरे-धीरे केशव और रागिनी के बीच दोस्ती हुई, मगर राजा और केशव के बीच की दोस्ती मे कोई फर्क नहीं पड़ा।
केशव और रागिनी अब रोज़ मिलने लगे, मगर केशव के साथ राजा भी हमेशा रहता था, यह बात रागिनी को पसंद नहीं थी।
रागिनी ने केशव और राजा की दोस्ती मे दरार डाल ने की सोच ली।
एक दिन केशव कॉलेज के बाहर अकेला खड़ा था और राजा के आने की इंतजार कर रहा था। तभी रागिनी वहा आ गई उसे लगा की केशव उसका इंतजार कर रहा था, रागिनी ने कहा चलो चलते है, मगर तब केशव ने अपने दोस्त राजा का इंतजार करने को कहा, रागिनी को तब बहुत गुस्सा आया और उसने केशव को कहा तूम हर बार राजा-राजा करते रहते हो मगर क्या राजा तुम्हारी परवाह करता है? क्या वो तुम्हें अपना दोस्त मानता है?
केशव को रागिनी की यह बात सुन कर बहुत गुस्सा आया और उस से कहा तुम हमारी दोस्ती पर शक कर रही हो, राजा और मै दोनों भाई के जेसे है। और हम एक दूसरे के लिए कुछ भी कर सकते है। तभी रागिनी ने कहा एसा है तो तुम अपने दोस्त से एक हजार रुपे मांग के देखो क्या वो देता है?
केशव ने कहा की वो गरीब है इतने पैसे वो नहीं दे सकेगा; रागिनी ने कहा की तुम तो उसे कितने पैसे देते हो तो क्या वो एक बार अपने दोस्त के लिए एक हजार रुपे नहीं दे सकता ?
केशव ने रागिनी को समजाया की दोस्ती पैसो से नहीं होती मगर रागिनी नहीं मानी और उसकी दोस्ती को साबित करने को कहा।
तभी राजा आया, और वो तीनों जाने लगे, केशव ने न चाहते हुए भी राजा से एक हजार रुपे मांगे।
राजा सोचने लगा की वो इतने पैसे कहा से लाएगा फिर उसने सोचा की उसके दोस्त ने पहली बार कुछ मांगा है, केसे भी कर के देना तो पड़ेगा। राजा ने केशव को मै अभी लाता हु, कह कर वहासे चला गय।
राजा सोच रहा था की इतने पैसे कहा से लाऊँगा, तभी उसने देखा की कुछ मजदूर बिल्डिंग मे काम करने के लिए सीमेंट की बोरी उठा कर लेजा रहे थे।
राजा भी उन लोगो के साथ काम करने लग जाता है। राजा ने कभी एसा कम नहीं किया था इसलिए वो थक गया था मगर दोस्त को पैसो की जरूरत है यह याद आते ही स्वस्थ हो कर फिर काम करने लग जाता था। काम करते-करते राजा इतना थक गया था की वो बेहोस हो कर गिर पड़ा। राजा को बेहोस पड़ा देख कर सभी मजदूर उसके पास आ गए।
उधर रागिनी केशव को कह ने लगी ; देखा तुम्हारा दोस्त अभी आया कह कर गय और अभी तक नहीं आया।
केशव रागिनी के साथ राजा को ढुढ्ने लगा। ढुढ्ते-ढुढ्ते वों दोनों उस बिल्डिंग के पास गए। वहा मजदूरो की बहुत भीड़ थी, क्या हुआ यह देख ने केशव और रागिनी भी वहा गए। अपने दोस्त राजा को बेहोश पड़ा देख कर केशव डर गया, और वहा के मजदूरो से पूछा तो पता चला की वो यहा पर काम कर रहा था।
वहा के मजदूरो ने राजा को जेसे-तेसे करके होश मे लाये। केशव समझ गया की एक हजार रुपे के लिए राजा यहा काम कर रहा था।
रागिनी शिर झुका कर केशव के सामने खड़ी थी। केशव ने रागिनी से कहा, सच्ची दोस्ती तो एक अखूट खजाने की तरह होती है जो कभी भी खत्म नहीं होती और इस मे किसिकों कुछ दिखानेकी या साबित करनेकी जरूरत नहीं होती। यह कह कर केशव राजा के पास चला गया।
दोस्ती का कोई नाम नहीं होता दोस्तो, दोस्ती तो वो है जो बिना किसी स्वार्थ के निभाई जाए।
बिना किसी रिश्ते के रिश्ते निभाए, उसे ही दोस्ती कहते है।