प्रार्थना क्या है, हम प्रार्थना क्यों करते हैं ? prarthana kya hai, ham prarthana kyon karte hain ?

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प्रार्थना

प्रार्थना ! प्रभु के ह्रदय के द्वार खोल देती है। सभी चुनौतीओ का सामना करने की शक्ति प्रभु की प्रार्थना ही है।

कष्टो को दूर करने के लिए प्रार्थना जरूरी

शुद्ध और सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, ईश्वर हमेशा सहायता करते है। हमे हमारी प्रार्थना पर और ईश्वर पर विश्वास रखना जरूरी है।

प्रार्थना मे अदभूत शक्ति होती है। प्रभु प्राप्ति का श्रेष्ठ माध्यम प्रार्थना ही है। प्रार्थना आत्मा और शरीर का भोजन माना गया है। ईश्वर की प्राप्ति के लिए मंत्र, जप या पूजा से भी श्रेष्ठ प्रार्थना को महत्व दिया गया है। विश्व के सभी धर्मो मे प्रार्थना को महत्वपूर्ण माना गया है।

वर्तमान समय मे मनुष्य कई समस्या से पीड़ित है। शारीरिक रोग का शरीर ने घर कर लिया है। एसे समय मे शांति के लिए एक मात्र उपाय प्रार्थना ही तो है। सभी मूशिबतों से निकल ने का मार्ग प्रार्थना देती है। जीवन मे अगर हमे सफलता प्राप्त करनी है, तो हमे उसके लिए प्रार्थना करना जरूरी है।

प्रार्थना क्या है ?
प्रार्थना क्या है ?

जीवन मे प्रार्थना का महत्व :

प्रार्थना करने से हमारे इस चंचल मन को शांति मिलती है। गांधीजी ने लिखा है, कि ‘मेरा सब से बड़ा शस्त्र है प्रार्थना, प्रार्थना के बिना आंतरिक शांति नहीं मिलती’। मेथ्यु हेनरी लिखते है कि, प्रार्थना सुबह कि चाय है और रात का खाना भी प्रार्थना ही है’।

प्रार्थना कभी भी हमारे जीवन मे व्यर्थ नहीं जाती, सिर्फ राम बोल ने से भी पापो का नाश होता है। जिस व्यक्ति कि प्रार्थना मे प्रेम, श्रद्धा और भावना है, उसकी प्रार्थना सर्वोत्तम है।

प्रार्थना मंदिर मे ही हो यह जरूरी नहीं है, किसी भी कोने मे प्रार्थना कि जा सकती है। प्रार्थना करते समय नम्रता और समर्पण भाव जरूरी है। प्रार्थना क्रोध, वासना, ईर्षा दूर करती है। प्रभु के शरण मे जाने के लिए प्रार्थना ही एक माध्यम है।

प्रभु सर्वव्यापक और सर्व शक्तिमान है। प्रभु अंतरयामी है। प्रभु से कुछ मांगने कि जरूरत नहीं है, उसे सब पता है कि, किसे कब और कितना देना ये सब प्रभु जानते है। मनुष्य को प्रभु के रंग मे रंगजाने कि जरूरत है।  

प्रार्थना की शक्ति :

प्रार्थना एक ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से बाहर निकल सकते है। प्रार्थना प्रभु दर्शन की एक अद्भुत दिव्य शक्ति का अनुभव कराती है। निरंतर प्रार्थना करने से प्रभु की प्राप्ति का आनंद मिलता है।

कभी जीवन मे अनचाही मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। चाहे वो आर्थिक हो या शारीरिक या फिर पारिवारिक हो, जिसका कोई हल न निकाल सकता हो, तभी अचानक कोई सबंधी या मित्र फरिस्ता बन कर आ जाता है, और सभी समस्याओ का समाधान मिल जाता है।

तभी हमारा मन सोचता है की ये कोई साधारण घटना नहीं थी, किसी दैवी शक्ति का प्रागट्य है, ईश्वर का साक्षात्कार है जो मित्र या सबंधी के रूप मे आए थे।

इसी प्रकार प्रार्थना मे एसी शक्ति है जो हमे हर पल प्रभु के हमारे साथ होने का अनुभव कराती है, लेकिन हम इन सारी बातो से अंजान होते है।

प्रार्थना का अर्थ :

प्रार्थना से हम सरल और सीधे रूप से ईश्वर को याद करते है। इसमे मेरा या तुम्हारा की कोई गुंजाइस नहीं होती, इसमे तो ‘सर्वदा सभी का कल्याण हो’ की भावना होती है।

मनुष्य-मनुष्य के बीच प्रार्थना का रूप अलग होता है, प्रार्थना करने मे कोई नियम नहीं होते , लेकिन मनुष्य के अंदर की सच्ची और शुध्ध भावना होनी जरूरी होती है। प्रार्थना के समय शब्दो से ज्यादा मन की सच्चाई महत्व की होती है।

प्रार्थना का अर्थ ही दो लोगो के बीच की अंगत वार्तालाप होता है, जेसे एक पेड़ के दो सुगंधित  फूल। इस फूल का कोई नाम नहीं होता परंतु इसकी महक पूरे वातावरण मे फेल जाती है।

प्रार्थना के कई रूप होते है, जेसे की “मीरा” की “भगवान श्री कृष्ण” के लिए प्रेम भक्ति। मीरा की प्रेम भक्ति मे श्री कृष्ण से कुछ मांगने की या किसी फरियाद के लिए नही थी, यहा तो सिर्फ शुध्ध लगाव की भावना थी। इस प्रकार प्रार्थना मे शुध्ध और निःस्वार्थ भाव ही होना चाहिए।

प्रार्थना का मतलब ईश्वर की अविरत कृपा के बदले कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर। प्रार्थना का मतलब ईश्वर के नजदीक जाने की तक, प्रार्थना का मतलब अपनी भूलो को ईश्वर के सामने खुला करने का समय।   

प्रार्थना मे किसी माला से गिनती नहीं होती, प्रार्थना मे कितने मंत्र जाप किए, कितने घंटे प्रार्थना मे बिताया यह महत्व का नहीं है।

सही  प्रार्थना तो मानव संबंधों मे प्रामाणिकता लाती है, परस्पर प्रेम जगाती है, जिसमे सहानुभूति, अनुकंपा और करुणा को जन्म देती है, और शांति बनाए रखती है।

अपने सभी काम-व्यवसाय प्रामाणिकता से करना, दूसरों को पीड़ा नहीं देना, और जितना हो सके  दूसरों की मदद करना, किसी की निंदाओ से हमेशा दूर रहना, ईश्वर की अद्भुत लीलाओ और आशीर्वाद का खुल्ले मन से स्वीकार करना, यह सभी प्रार्थना के ही रूप है।

जीवन को सार्थक करने के लिए मनुष्य के हीत मे ही विचार करना चाहिए। कल्याणकारी और कर्तव्य ही सही जीवन की प्रार्थना है।

इस आर्टिकल मे प्रार्थना क्या है, हम प्रार्थना क्यों करते हैं ? के बारे मे हमारी Nice Days  की Team  ने बेसिक जानकारी दी, हमारी कोशिश रहेगी की आप हमारे इस आर्टिकल के द्वारा कुछ नया जाने। हमारी वेबसाइट पर इस तरह के दूसरे भी आर्टिकल है, आपको अगर ऐसे आर्टिकल का पठन करना अच्छा लगता हो तो आप उसे भी पढ़ सकते है।

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