कर्नाटक राज्य के बारे में महत्व की जानकारी ।

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कर्नाटक परिचय :

कर्नाटक भारत देश के दक्षिण-पश्चिम मे स्थित एक धनी राज्य है। इस राज्य को पहले मैसूर के नाम से जाना जाता था। कर्नाटक नाम करनालु से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘महान भूमि’ होता है।

कर्नाटक भारत के इतिहास के साथ-साथ आधुनिक भारत के भी दर्शन करता है। कर्नाटक का मैसूर पेलेस ताज महल के बाद भारत मे सब से ज्यादा देखे जाने वाला स्थान है।

सन 1935 मे यहाँ के एम वी गोपाल स्वामी ने भारत का प्रथम निजी रेडियो प्रसारण स्टेशन सेवा की शुरुआत की थी। कर्नाटक राज्य के बीजापुर जिले मे से पाँच नदियां गुजरी है, इस लिए इसे 5 रिवर लैंड भी कहते है।  

कर्नाटक खादी ग्राम उद्योग संयुक्ता संघ जो हुब्ली मे स्थित भारत का एक मात्र स्थान है जहां भारतीय ध्वज बनाए जाते है और आपूर्ति की जाती है। जिसकी स्थापना 1957 मे की गई थी। यह राज्य भारत के सभी राज्यो से पर्यटन के उदेश्य से 4था सब से मशहूर राज्य है।

कर्नाटक शिमोगा जिले के झरनो के लिए भी प्रसिद्ध है, जहा एशिया का दूसरा सबसे बड़ा झरना पाया जाता है। यहा की राजधानी बैगलोर भारत देश का इलेक्ट्रोनिक नगर तथा सिलिकों सिटी के रूप मे भी पहचाना जाता है।  

कर्नाटक की सीमा मे उत्तर मे महाराष्ट्र और गोवा, दक्षिण मे केरल, पूरब मे आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू, पश्चिम मे अरब सागर स्थित है।

कर्नाटक राज्य के सामान्य तथ्य :

  • स्थापना दिवस : 1 नवंबर 1956
  • राजधानी : बैंगलोर 
  • कुल क्षेत्रफल : 1,91,791 वर्ग किलोमीटर
  • कुल जिले : 30
  • बड़ा शहर : बैंगलोर
  • प्रथम मुख्य मंत्री : के. चेगलाराय रेड्डीजी
  • राजकीय भाषा : कन्नड
  • राजकीय पक्षी : भारतीय रोलर (कोरासिया इंडिका)
  • राजकीय पशु :  एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस)  
  • राजकीय पेड़ :  चन्दन (संतालु एल्बम)
  • राजकीय फूल :  कमल
  • कर्नाटक की सीमा : केरल, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गोवा, अरेबियन सागर
  • प्रमुख नदी :  कृष्णा, कावेरी, तुंगभद्रा, भीमा, वेदवन्त, सरस्वती, कालिंदी   
  • जनसंख्या : 6,10,95,297
  • साक्षरता दर : 67.04% (2001 की जनसंख्या के अनुसार)
  • प्रमुख कृषि उद्योग : पुष्प उद्योग, धान, रागी, मक्का, चावल, बाजरा, ज्वार  
  • पर्यटक स्थल :  टीपू सुल्तान का मकबरा, तुंगभद्रा अभ्यारण (बेलारी), रमन अनुसंधान केंद्र (बेंगलोर), बीजापुर का गोलगुंबज, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्धान (मैसूर), नागरहोल राष्ट्रीय उद्धान, मैसूर पैलेस (मैसूर), वृंदावन गार्डन, गुलबरमा आदि।
  • मुख्य नृत्य : यक्ष ज्ञान, दोल्लू, कुनिथा, कर्गा  
कर्नाटक राज्य के बारे में महत्व की जानकारी ।
कर्नाटक राज्य के बारे में महत्व की जानकारी ।

कर्नाटक का इतिहास क्या है ?

कर्नाटक राज्य तीसरी शताब्दी ई.से पूर्व नंद वंश के अधिकार मे था। इस के बाद मौर्य वंश के सम्राट अशोक के अधीन मे रहा था।

सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद सातवाहन राज वंश का अधिकार रहा, उन्होने मौर्य वंश के पतन के बाद खुद को शक्तिशाली और स्वतंत्र घोषित किया था। कर्नाटक के बड़े भूभाग पर शासन करने वाले सातवाहन के वंश ही थे।

इन सारे राजवंशो के उपरांत बादामी चालुक्य वंश का भी आगमन हुआ, जिस ने दक्षिण के बड़े से भू भाग पर अपना शासन किया था। बादामी चालुक्य के अलावा यहा पर पश्चिमी चालुक्य वंश और मान्य खेत के राष्ट्रकूट का भी आगमन हुआ।

पश्चिमी चालुक्य वंश ने कई अनोखी स्थापत्य शैली का भी विकास किया, और इस के साथ ही कन्नड साहित्य को भी विकसित किया, जो 12वीं शताब्दी मे होयसाल वंश के कला और साहित्य के नाम से पहचानी गई।

आधुनिक कर्नाटक के कई क्षेत्र मे 9वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक चोल वंश ने अपना अधिकार जमाया था। इस अधिकार की शुरुआत राजराज चोल1 से शुरू हो कर उनके पुत्र राजेन्द्र चोल1 तक रहा था।

राजेन्द्र चोल1 ने चालुक्य शासक जयसिंह को हरा दिया और तुंगभद्रा नदी को दोनों राज्यो के बीच मे एक सीमा तय किया गया।

होयसाल वंश प्रथम शताब्दी मे इस क्षेत्र मे अपना पुनरोद्भव शुरू किया, इसी समय उन्होने अपनी साहित्य कला की स्थापना की।

14वीं शताब्दी मे बुक्का राय विजय नगर के सम्राट बने और मुस्लिमो को इस क्षेत्र मे आने पर रोक लगा दी थी। जो अगली दो शताब्दी तक इस रोक का पालन हुआ था।

सन 1565 मे तालीकोट का युद्ध हुआ, जिस से कर्नाटक के सहित पूरे दक्षिण भारत को राजनैतिक के बदलाव का सामना करना पडा था। यह युद्ध दक्कन के सल्तनत और विजय नगर सम्राट के बीच हुआ था। यह लड़ाई राक्षस-तंगड़ी नामक गाव के नजदीक हुई थी, जिसमे विजय नगर सम्राट को हरा दिया गया था।

इस हार के फल स्वरूप दक्षिण भारत के अंतिम हिन्दू साम्राज्य का पतन हो गया था और इस्लामी सल्तनत के अधीन हो गया था। यह शासन 17वीं शताब्दी के अंत मे मुगल साम्राज्य से पराजित होने तक रहा था।

इस के बाद बहमनी सल्तनत के परवर्ती राज्यो का आगमन हुआ। इन राज्यो को मुगलो के द्वारा पराजित कर दिया। इस के बाद बीजापुर के सूबेदार शाहजी के पुत्र शिवाजी ने मराठो की शक्ति का उदय किया। 18वीं शताब्दी के अंत तक मराठो की शक्ति का भी अंत हो गया।

चौथे आंग्ल-मैसूर-युद्ध के दौरान हैदर अली के पुत्र टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गई, जो सन 1799 मे हुई थी और अंग्रेज़ो ने मैसूर पर अपना शासन कर दिया। सन 1818 मे पेशवाओ को भी हरा दिया और सम्पूर्ण राज्य पर अंग्रेज़ो ने अधिकार कर दिया।  

स्वतन्त्रता के बाद 1956 मे नए एकीकृत राज्य का गठन किया गया। और 1973 मे मैसूर का नाम बदल कर कर्नाटक रखा गया था। सोने की खान कर्नाटक के कोलार मे स्थित है। 

कर्नाटक का भूगोल क्या है ?

कर्नाटक राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 20% वनो से भरा राज्य है, यहा पर चन्दन और सागौन के पेड़ देखने को मिलते है। और यहा लगभग 400 किलोमीटर लंबा समुद्र तट है। इस राज्य की तीन प्रधान मण्डल है, जो निम्न लिखित है।

तटीय क्षेत्र करवाली : यह क्षेत्र कर्नाटक राज्य के तीन जिले दक्षिण कन्नड, उड्डपी और उत्तर कन्नड को मिला कर कहा जाता है। इस क्षेत्र की उत्तर से दक्षिण की लंबाई 300 किलोमीटर और चौड़ाई 30 से 110 किलोमीटर की है।

मालेनाडु : यह भारत देश के पश्चिमी घाट की पर्वत माला का एक पर्वत है।

बयालुसिमी : यह क्षेत्र एक फैला और खुला मैदानी क्षेत्र है। यह मालेनाडु क्षेत्र के पूर्वी ओर के क्षेत्र को कहा जाता है।  

कर्नाटक राज्य का ज़्यादातर हिस्सा बयालुसिमी मे आता है।

कर्नाटक की नदियां :

यहा पर कई नदिया प्रवाहीत होती है, जिनमे से महत्व की नदियों मे कावेरी नदी जो पश्चिम घाट के पर्वत ब्रह्मगिरि से निकलती है और बंगाल की खाड़ी मे मिल जाती है।

कृष्णा नदी जो पश्चिम घाट के पर्वत महाबलेश्वर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी मे मिल जाने वाली एक नदी है। जिसकी लंबाई 1288 किलोमीटर है।

तुंगभद्रा नदी एक पवित्र नदी है। इस नदी का उद्भव तुंगा और भद्रा नदियों के मिलन से हुआ है।

इन सारी नदियों के अलावा भी यहा पर कई सारी नदियां प्रवाहित होती है जैसे शरावती नदी, मलयप्रभा नदी आदि।

कर्नाटक मे पर्वत :

कर्नाटक मे महत्वपूर्ण पर्वत भी पाये जाते है, जिनमे बिलीगीरी रंगन हिल्स, बादामी हिल्स, चित्रदुर्ग हिल्स, पश्चिमी घाट, नंदी हिल्स, गोकक हिल्स आदि।

कर्नाटक मे सब से ऊंची चोटी मुल्लायनागिरि (पश्चिम घाट मे) है। जिसकी ऊंचाई 1930 मीटर की है। इस के अलावा यहा पर कुद्रेमुख नामक चोटी है, जहा पर लोहे का निक्षेप और उत्पादन होता है। जिसकी ऊंचाई 1892 मीटर की है।

 कर्नाटक के मेजोर डैम :

  • तुंगभद्रा डैम जो कर्नाटक का सब से बड़ा डैम माना जाता है, और यह तुंगभद्रा नदी पर ही बनाया गया है डैम है।
  • कृष्णा राजा सागर डैम जो कृष्णा नदी पर बनाया गया बहुत ही मशहूर डैम है।
  • अल्माटी डैम जो कृष्णा नदी पर बनाया गया है।
  • हेमावती डैम यह डैम हेमावती नदी पर बनाया गया डैम है।
  • वानी विलासा सागरा डैम जो कर्नाटक का सब से पुराना डैम माना जाता है।

कर्नाटक के प्रमुख तथ्य :

  • सैंट मेरी द्वीप : कर्नाटक के दक्षिण कन्नड जिले के पश्चिम मे स्थित अरब सागर मे एक द्वीप है।
  • होगेनीकल प्रपात : कावेरी नदी पर कर्नाटक के चगराजनगर जिले मे महादेश्वर पहाड़ियों पर बना एक जल प्रपात है।
  • शिवसमुद्रम : कर्नाटक के गान्ड्य और मैसूर जिले की सीमा पर स्थित एक जल विद्धुत परियोजना है, जो कावेरी नदी पर स्थित है।
  • हट्टी : कर्नाटक के रायपुर जिले मे स्थित सोने की खाने है।
  • श्रुंगेरी : कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के पश्चिमी भाग मे स्थित शंकराचार्य की सिद्धपीठ है।
  • कर्नाटक लौह खनिज, सोना, चुना पत्थर,तांबा, मैगनीज़, क्रोमाइट आदि का भी प्रमुख उद्योगो का सेंटर है।

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हम भारत देश के निवासी हैं इसलिए हम अपने देश के बारे में जो भी जानकारी जानते हैं, वह सभी जानकारी जैसे की इतिहास, भूगोल, भारत के त्यौहार, आस्था आदि से जुडी जानकारी इस ब्लॉग में हिंदी भाषा में दी गई है।

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