केरल राज्य का परिचय :
भारत देश की दक्षिण-पश्चिम सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रुंखलाओ के मध्य मे एक खूबसूरत भूभाग है, जिसे केरल राज्य कहते है। केरल भारत के सबसे विकसित राज्यो मे से एक है।
प्रकृति की गोद मे बसा केरल एक एसा राज्य है जहा पर आयुर्वेद को एक आर्ट के रूप मे माना जाता है। आयुर्वेद केरल का गौरव हे। यह राज्य भारत का एक एसा राज्य है, जहा आयुर्वेद एक मुख्य धारा बनी हुई है। छुट्टिओ मे घूम ने के लिए यह राज्य स्वर्ग के समान है। यह राज्य भारत देश को आगे बढ़ाने मे काफी मदद की है।
यह राज्य खूबसूरती मे भी आगे है। केरल एक एसा राज्य है जहा पर लड़को से ज्यादा लड़कियों की संख्या ज्यादा पाई जाती है। यहा पर हिन्दू और मुस्लिम के अलावा ईसाई धर्म के लोग भी ज्यादा संख्या मे रहते है।
यह राज्य भारत देश के स्वच्छ राज्यो मे से एक है, और हर गाँव मे बेंक और अस्पतालो वाला भारत का एक मात्र राज्य है। इस राज्य को मसालो का घर भी कहा जाता है।
केरल की सीमा मे उत्तर-पूर्व मे कर्नाटक, पूर्व-दक्षिण मे तमिलनाडू और पश्चिम मे अरेबियन सागर स्थित है।
केरल राज्य के सामान्य तथ्य :
- स्थापना दिवस : 1 नवंबर 1956
- राजधानी : तिरुवन्तपुरम
- कुल क्षेत्रफल : 38,863 वर्ग किलोमीटर
- कुल जिले : 14
- बड़ा शहर : तिरुवन्तपुरम
- प्रथम मुख्य मंत्री : ई. एम. एल. नंबूदिरीपाद
- राजकीय भाषा : मलयालम, अंग्रेजी
- राजकीय पशु : भारतीय हाथी
- राजकीय पेड़ : नारियल का पेड़
- राजकीय पक्षी: ग्रेट होर्न बिल
- राजकीय फूल : कनिकोना
- केरल की सीमा : कर्नाटक, तमिलनाडू और अरेबियन सागर
- प्रमुख नदी : पेरियार, कोरैयार नदी, मिनच्चील, अच्चनकोविल, मणिमला आदि।
- जनसंख्या : 3,34,06,061
- साक्षरता दर : 93.94%
- प्रमुख कृषि उद्योग : चाय, कॉफी, काजू, केले, नारियल आदि।
- पर्यटक स्थल : एराविकुलम रास्ट्रीय उद्धान, श्री पद्मानभास्वामी मंदिर, कोच्चि, कृष्णापुरम पेलेश, वर्कला, चेरायी आदि।
- मुख्य नृत्य : कथकली, मोहिनीअट्टम
केरल का इतिहास :
केरल के कई भागो से प्राचीन काल के खण्डहर प्राप्त हुए है, जिससे पता चलता है की केरल मे अतिप्राचीन काल से मानवो का वास रहा है।
केरल का इतिहास 300 ईसा पूर्व का है, जिसमे कहा जाता है की चेरो राजवंश ने सर्व प्रथम केरल पर स्वतन्त्रता पूर्वक शासन किया था। लेकिन पडोशी चोलो ने कई बार उनका पतन करना चाहा था।
केरल मे प्राचीन काल से ही बंदरगाह थे, जिस के कारण विदेशी व्यापार विकसित हुआ था। प्राचीन भारत के सर्व प्रमुख बंदरगाहों मे मुसरिस बंदरगाह को माना जाता है।
सन 800 से 1102 तक का समय कुलशेखर काल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है की, कुलशेखर के साम्राज्य ने ही आधुनिक केरल की नीव डाली थी। कुलशेखर साम्राज्य के साथ चोल राज्य का युद्ध हुआ, जो कुलशेखर साम्राज्य का पतन का कारण बना था।
केरल के दक्षिणी सीमा पर स्थित वेणड एक शक्तिशाली राज्य था, जिसे 12 वीं शताब्दी मे स्वतंत्र राज्य के रूप मे निर्माण किया गया था। जब रामवर्मा कुलशेखर चोल सैनिको से युद्ध करने के लिए कोल्लम गए, तब चौल सैनिको ने हार मान कर पीछे हट गए। फिर कुलशेखर ने वहा पर अपना डेरा बसा लिया। उसी कारण से उन को वेणड राज्य के संस्थापक भी कहा जाता है।
रवि वर्मा कुलशेखरन ने वेणड पर सन 1299 से 1314 तक शासन किया था, और उनकी राजधानी कोल्लम ही रही थी। रवि वर्मा कुलशेखर के बाद कई राजाओ ने यहा पर शासन किया।
सन 1498 मे केरल मे वास्को द गामा का आगमन हुआ, उनका स्वागत बड़ी धूमधाम से हुआ था। इस के बाद सन 1500 मे दूसरे पुर्तगाली दल का केरल मे प्रवेश हुआ। और वहा पर व्यापार करने की अनुमति मिल गई।
सन 1766 मे उत्तर केरल हैदर अली और उसका पुत्र टीपू सुल्तान का आगमन होता है। सन 1792 मे श्रीरंग पत्त्णम संधि के तहत ब्रिटीशो के सामने टीपू सुल्तान को हथियार डालने पड़े, तब सम्पूर्ण क्षेत्र ब्रिटीशो के आधीन हो गया था।
सन 1956 तक मलबार ब्रिटिश निर्मित मद्रास राज्य का एक जिला मात्र था। और जब 1 नवंबर 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत केरल राज्य का निर्माण हुआ तब मलबार, त्रावणकोर और कोचीन को केरल राज्य मे मिला दिया गया।
केरल को पहले त्रावणकोर के नाम से जाना जाता था। त्रावणकोर राज्य का गठन 1 जुलाई 1949 को किया गया था, बाद मे केरल का नाम दिया गया।
केरल का भूगोल :
केरल के मे उत्तर-पूर्व मे कर्नाटक, पूर्व-दक्षिण मे तमिलनाडू और पश्चिम मे अरेबियन सागर स्थित है। केरल राज्य मे विशाल समुद्र तट है, जिसकी लंबाई 590 किलोमीटर है।
केरल राज्य पर्यटको के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बना रहता है। केरल को ‘god’s own country’ अर्थात ‘भगवान का अपना घर’ के नाम से भी जाना जाता है। यहा पर लंबे समुद्र तट, जल की प्रचुरता, सुंदर प्रकृति सौदर्य, लगभग 40 से भी अधिक नदियाँ, सघन वन, पर्वतीय तराइया आदि के कारण पर्यटको को केरल भरपूर आनंद प्रदान करता है।
केरल का उत्तरी अक्षांश 8०17’30” से 12०47’40” तक फेला हुआ है, और पूर्वी देशांतर मे 74०7’47” से 77०37’12” तक फेला हुआ राज्य है। केरल कुछ चक्रवातों के साथ आर्द्र उष्णकटिबंधीय वर्षावन जल वायु का अनुभव करता है।
भौगोलिक रूप से केरल को तीन प्रमुख पर्यटन क्षेत्रो मे विभाजित किया गया है- मालबार (उत्तरी केरल), कोच्चि (मध्य केरल) और त्रावणकोर (दक्षिणी केरल)। केरल के इडुक्की जिले मे अनामुडी एक चोटी है, जो दक्षिण भारत की सब से ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई 2,695 मीटर की है।
केरल की नदियाँ :
केरल एक समृद्ध राज्य है, और इस राज्य को जल से समृद्ध यहा की नदिया बनाती है। यहा पर 44 से भी अधिक नदियाँ है, जिस मे से 41 नदियाँ पश्चिम दिशा की ओर बहती है जो समुद्र या फिर झिलो मे जा कर मिल जाती है। और 3 नदी पूर्व की ओर बहती है।
पश्चिम दिशा की ओर बहने वाली नदियों मे तिरुर पुषा, मंजेश्वरम पुषा, पंबा, चालियार, कालड़ा, मुवातुपुझा, वामनपुरम, पेरियार, कुप्पम पुषा, चन्द्र्गिरी पुषा, निलेश्वरम पुषा आदि है, और पूरब की ओर बहने वाली नदियों मे पांपार, काबानी नदी और भवानीप्पुषा है।
केरल की प्रमुख झीलें :
शास्तामकोट्टक्कायल, वेंपनाडु कायल, परावूलकायल, वरप्पुषा कायल, अष्टमुड़ीक्कायल, इडवाक्कायल, कायांकुलम कायल आदि झिले केरल मे प्रमुख है।
केरल के मेजोर डैम :
इदुक्की डैम : यह डैम पेरियार नदी पर बनाया गया एक डैम है। इस डैम की ऊंचाई 554 फिट है और यह डैम एशिया के सब से ऊंचे चाप डैमों मे से एक है। इस डैम का उदेश्य विद्युत उत्पादन का है।
मुल्लापेरियार डैम : इस डैम की ऊंचाई 176 फिट और लंबाई 1,200 फिट है। इस डैम का निर्माण सन 1887 से आरंभ हुआ था और सन 1895 के मध्य मे पूरा किया गया था।
नेय्यार डैम : यह डैम नेय्यार नदी पर बनाया गया एक गुरुत्व डैम है। नेय्यार डैम तिरुवनंतपुरम जिले मे पश्चिमी घाट पर स्थित एक डैम है।
केरल मे नेशनल पार्क :
इराविकुल्लम, सैलेंट वैली, पेरियार, माथि केत्तन शोला, पंपादुम शोला, अनमुडी शोला आदि।
केरल मे क्या-क्या उत्पादन होता है?
केरल मे मसालो का भरपूर मात्र मे उत्पादन होता है, यहा पर देश भर की काली मिर्च का 98% उत्पादन होता है। केरल राज्य मे रबड़ क्षेत्र देशभर का 83% है।
इस के अलावा यहा पर प्रमुख तौर पर इलायची, चाय, रबड़, कॉफी, नारियल, चावल, दाल, सुपारी, अदरख, हल्दी और काफी सारे मसालो का भी भरपूर मात्र मे उत्पादन होता है।