पंजाब राज्य परिचय:
पंजाब राज्य भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग मे स्थि एक समृद्ध राज्य है। यह राज्य अपनी खूबसूरती और खान-पान के लिए पूरे विश्व मे मशहूर है। पंजाब क्षेत्र को मूल रूप से सप्त सिंधु कहा जाता था, यानि जहा पर सात नदि बहती हो।
पंजाब शब्द फारसी शब्द है, पंज यानि पाँच और आब यानि पानी के मेल से बना। जिसका मतलब होता है ‘पाँच नदियों का समूह’। यहा पर पाँच नदियो मे रावि, चिनाब, व्यास, सतलुज और झेलम है। लेकिन जब सन 1947 मे भारत देश के विभाजन के बाद झेलम औए चिनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र मे चली गई। यह राज्य मुख्य रूप से कृषि पर आधारीत राज्य है। और यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ भी है इसीलिए इस राज्य को स्वर्ण फसल की धरती भी कहा जाता है।
पंजाब राज्य की सीमा मे पश्चिम मे पाकिस्तान, उत्तर मे जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्व मे हिमाचल प्रदेशऔर दक्षिण मे राजस्थान एवं हरियाणा स्थित है।
पंजाब राज्य के सामान्य तथ्य:
- स्थापना दिवस : 1 नवंबर 1966
- राजधानी : चंडीगढ़
- कुल जिले : 22
- सब से बड़ा शहर : लुधियाना
- कुल क्षेत्रफल : 50,362 वर्ग किलोमीटर
- प्रथम मुख्य मंत्री : डॉ. गोपीचन्द भार्गव
- राजकीय भाषा : पंजाबी
- राजकीय पक्षी : बाज़
- राजकीय पशु : काला हिरण
- राजकीय पेड़ : शीशम
- राजकीय फूल : ग्लेडियोलस
- पंजाब राज्य की सीमा : जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पाकिस्तान।
- प्रमुख नदी : रावि, सतलुज, चिनाब, ब्यास, झेलम।
- जनसंख्या : 27,704,236 (2011 की जनगणना के आधार पर)
- साक्षरता दर : 82.20% (2011 की जनगणना के आधार पर)
- प्रमुख कृषि उद्योग : गेहूं, गन्ना, चावल, फल, सब्जी
- पर्यटक स्थल : गोल्डेन टैम्पल (अमृतसर), जालियावाला बाग (अमृतसर), वागाह-अत्तारी बोर्डर, रॉक गार्डेन (चंडीगढ़), राम बाग पैलेस आदि।
- मुख्य नृत्य : भांगड़ा, गिद्दा, साम्मी, धामल
पंजाब राज्य का इतिहास:
पंजाब राज्य मे ही सिंधुघाटी सभ्यता का गठन हुआ था। भारत देश की आज़ादी के साथ ही पंजाब अस्तित्व मे आया था। और उस समय मे एक साथ दो पंजबों का निर्माण हुआ था, एक पंजाब भारत मे और दूसरा पंजाब पाकिस्तान मे है। जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ था तब पंजाब प्रांत का ज़्यादातर मूसलीमी पश्चिमी हिस्सा पाकिस्तान का पंजाब प्रांत बन गया और पूर्वी भाग मे भारतीय पंजाब को मिला दिया गया।
पंजाब का इतिहास पढ़ ने के बाद पता चलता है की पंजाबियों ने भारत देश की आज़ादी के लिए कई सारी कुरबानिया दी थी। अंग्रेज़ो ने सन 1946 मे पंजाब का विभाजन कर दिया था।
1947 मे जब अंग्रेज़ो ने भारत छोड़ा तब पंजाब मे कई सारी रियासते थी, तो इस के बाद 1950 मे दो अलग-अलग राज्य बनाए गए थे। एक था पंजाब और दूसरा था PEPSU। पेपसू 8 जिलो के नाम को जोड़ कर बनाया गया था। जिसे शॉर्ट मे पेपसू बोलते है।
पेपसू का गठन 15 जुलाई 1948 मे हुआ था। और 1950 मे भारत का एक प्रांत बन गया था। और इस की राजधानी पटियाला थी। बाद मे पेपसू प्रांत को 1 नवंबर 1956 मे पंजाब राज्य मे विलय कर दिया गया था।
बाद मे पंजाब को दोबारा विभाजित किया गया। सन 1966 मे पंजाब को हिमाचल प्रदेश और हरियाणा मे बाँट दिया गया। प्राचीन युग और मध्य युग मे सब से ज्यादा हमले पंजाब मे ही हुए थे। इसी कारण पंजाब मे पुराने किले, पुराने मंदिर या फिर पुराने स्मारक देखने को नहीं मिलते है।
पंजाब एक एसा राज्य है जहां पर शिख धर्म के लोग सबसे ज्यादा पाये जाते है।
ब्रिटिश भारत के दौरान पंजाब क्षेत्र का नक्सा भारत सरकार अधिनियम 1935 के पारित होने के बाद पंजाब विधान सभा की स्थापना 1937 मे हुई थी। उस समय मे प्रायमिनिस्टर का पोस्ट हुआ करता था।
पंजाब राज्य का भूगोल:
पंजाब राज्य भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से का भाग है। यह राज्य उत्तरी अक्षांश मे 29०30’ से 32०32’ तक फेला है और पूर्वी देशांतर मे 73०55’ से 76०50’ देशांतर तक फेला है।
यहाँ की जमीन बहुत ही उपजाऊ है इसलिए हमारे देश मे पंजाब और हरियाणा कृषि मे सब से आगे है। हर साल भारत मे गेहूं के कुल उत्पादन मे 45% गेहूं और चावल के कुल उत्पादन मे 25% चावल पंजाब से ही होता है।
2011 की जनगणना के हिसाब से पंजाब की जनसंख्या 27,704,236 के आसपास है और यह राज्य जनसंख्या के हिसाब से 16वां सब से बड़ा राज्य है।
मेजर डैम :
रंजीत सागर डैम :
जिसे हम थन डैम के रूप मे भी जानते है। और यह डैम भारत के दो राज्य जम्मू कश्मीर और पंजाब की सीमा पर रावी नदी पर बनाया गया है। यह डैम पंजाब सिंचाई विभाग की सरकार द्वारा निर्मित एक जलविद्युत परियोजना का हिस्सा है।
नांगल डैम :
नांगल डैम भरक्रा और नागल प्रोजेक्ट का एक भाग है। और यह दोनों अलग-अलग है और यह हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा मे बनाए गए है। नांगल डैम पंजाब के नांगल सिटि मे सतलुज नदी पर बनाया गया डैम है।
10 सीख गुरु:
गुरु नानक :
उनका जन्म तलवंडी, पंजाब मे हुआ था। उन्होने सीख धर्म की स्थापना की थी। उन का समय 1469 से 1539 तक रहा था।
गुरु अंगद :
उन्होने गुरुमुख लिपि का आविष्कार किया था। उनका समय 1539 से 1552 तक का रहा था।
गुरु अमर दास :
उन्होने मुफ्त रसोई, गुरु की लंगर की परंपरा को मजबूत किया था। (गुरु नानक द्वारा शुरू किया गया।) उन्होने सीखो के बीच सती प्रथा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था। उनका समय 1552 से 1574 तक का रहा।
गुरु राम दास :
गुरु राम दास दस सीख गुरुओं मे से चौथे थे। सम्राट अकबर ने दुरु राम दास को जमीन का एक भूखंड दान मे दिया था, जिस पर बाद मे स्वर्ण मंदिर का निर्माण किया गया था। उन्होने अमृतसर शहर की स्थापना की थी। उनका समय 1574 से 1581 तक का रहा था।
गुरु अर्जुन देव :
उन्होने आदि ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की रचना की। गुरु अर्जुन देव को मुगल बादशाह जहाँगीर ने 1606 मे यातना दे कर मार डाला था। उनका समय 1581 से 1606 तक का था।
गुरु हरगोविंद :
उन्होने अकाल तख्त बनवाया था। उनका समय 1606 से 1645 तक का रहा था।
गुरु हर राय :
दारा सिकोह (सम्राट शाहजहाँ का सब से बड़ा पुत्र) अपने सौतेले भाई औरंगजेब द्वारा शुरू किए गए उत्तराधिकार के युद्ध मे मदद मांगने के लिए गुरु हर राय के पास गए थे। उन का समय 1645 से 1661 तक रहा था।
गुरु हर किशन :
गुरु हर किशनजी सिखों के आंठवें गुरु रहे है। उनका जन्म 7 जुलाई 1656 ई॰ मे कीरतपुर, पंजाब मे हुआ था। जब उनको सीख गुरु का पद मिला तब वे केवल 5 साल थे। उनका समय 1661 से 1664 तक का रहा है।
गुरु तेग बहादुर :
गुरु तेग बहादुर सीखो के नवें गुरु थे। उनका जन्म 1621 ई॰ मे अमृतसर मे हुआ था। गुरु तेग बहादुरजी ने देश और धर्म को बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। मुगल शासक औरंजेब ने इस्लाम स्वीकार न करने पर गुरु तेग बहादुरजी का सिर काट कर हत्या कर दी। उनका समय 1664 से 1675 तक का रहा है।
गुरु गोबिन्द सिंह :
गुरु गोबिन्द सिंह जी सीख धर्म के दसवें गुरु रहे है। उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार मे हुआ था। उन्होने सिखों को पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया था, और उन्हे गुरू रूप मे शोभित किया। और उन्होने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। उनका समय 1675 से 1708 तक का रहा है।