मध्यपदेश राज्य के बारे में महत्व की जानकारी।

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मध्यप्रदेश परिचय :

मध्य प्रदेश राज्य का नाम भारत देश के प्रथम मुख्य मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था। इस राज्य को कई नमो से जाना जाता है, जैसे की कोहिनूर प्रदेश, सोयाबीन राज्य, टाइगर स्टेट, नदियों का मायका, लघु भारत, हृदय प्रदेश और मध्य भारत।

मध्य प्रदेश राज्य का गठन 1 नवंबर 1956 मे हुआ था और पुनर्गठन 1 नवंबर 2000 को हुआ था। इस राज्य का क्षेत्रफल भारत देश के कुल क्षेत्रफल का 9.38% है।

मध्य प्रदेश का विस्तार पूरब से पश्चिम की ओर 870 किलोमीटर है, और उत्तर से दक्षिण की ओर 605 किलोमीटर है।

इस राज्य की सीमा भारत के अन्य पाँच राज्यो से मिलती है, जैसे की उत्तर मे उत्तर प्रदेश, दक्षिण मे महराष्ट्र, पूर्व मे छत्तीसगढ़ और पश्चिम मे गुजरात तथा उत्तर पश्चिम मे राजस्थान स्थित है।

इस राज्य की सर्वाधिक सीमा उत्तर प्रदेश से मिलती है।

मध्यप्रदेश के समान्य तथ्य :

  • स्थापना दिवस : 1 नवंबर 1956
  • राजधानी : भोपाल
  • कुल क्षेत्रफल : 3,08,252 वर्ग किलोमीटर
  • कुल जिले : 52
  • बड़ा शहर : इंदौर
  • प्रथम मुख्य मंत्री : पं. रविशंकर शुक्ला
  • राजकीय भाषा : हिन्दी, उर्दू, सिंधी, बुन्देली
  • राजकीय पक्षी : दूधराज (बुलबुल) 
  • राजकीय पशु : बारहंसिगा   
  • राजकीय पेड़ : वटवृक्ष (बरगद) 
  • राजकीय फूल : सफ़ेद लिली (पलाश)
  • राजकीय खेल : मलखंब    
  • राज्य गान : मेरामध्यप्रदेश (लेखक: महेश श्रीवास्तव)
  • मध्यप्रदेश की सीमा :  उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान।    
  • प्रमुख नदी :  नर्मदा, ताप्ती, शिप्रा, सोनभद्र, पार्वती, चंबल, कुनो आदि।
  • जनसंख्या : 7,26,26,809 (2011 की जनगणना के आधार पर)
  • साक्षरता दर : 70.60% (2011 की जनगणना के आधार पर)
  • प्रमुख कृषि उद्योग : सोयाबीन, गेहु, आलू, धान    
  • पर्यटक स्थल :  खजुराहो, पंचवटी, चोली, महेश्वर मंडलेश्वर, सांची स्तूप, उज्जैन रीवा जलप्रपात, ग्वालियर का किला आदि।
  • मुख्य नृत्य:  राई, भगौरिया, मटकी
मध्यपदेश राज्य के बारे में महत्व की जानकारी।
मध्यपदेश राज्य के बारे में महत्व की जानकारी।

मध्य प्रदेश का इतिहास :

मध्यप्रदेश राज्य गोण्ड्वाना लैंड का एक हिस्सा है। मध्यप्रदेश का दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र गोण्ड्वना क्षेत्र कहलाता है।

इस राज्य के नर्मदा घाटी क्षेत्र (जो मध्यप्रदेश का सब से नीचा हिस्सा है) से भारत और मध्यप्रदेश के ज़्यादातर पाशाणकालीन मानव सभ्यता स्थल और उपकरण प्राप्त किए गए है।

मध्यप्रदेश एक एसा राज्य है जहा पर आदिवाई का ज़्यादातर हिस्सा रहता है। यहा पर भील नाम की जनजाति ने मध्य भारत के बड़े भू भाग पर शासन किया और बहुत सारे क्षेत्रो को बसाया था।

इस के अलावा गोंड राजाओ ने भी मध्यप्रदेश के एक बड़े हिस्से पर अपना शासन किया था।

चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व उत्तर भारत को संयुक्त कर के मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। कहा जाता है की सम्राट अशोक की पत्नी विदिशा से थी, जो आज के भोपाल की उत्तर मे स्थित एक शर था।

राजा सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य का पतन होने लगा था। इस के बाद कई स्थानीय राजाये स्वतंत्र रूप से राज्य करने लगे।

चौथी और पाँचवी शताब्दी को भारत का सुनहरा या प्रभावी समय माना जाता है। इस समय उत्तर भारत मे गुप्त साम्राज्य की स्थापना हुई थी।

इस के बाद हूणों के आक्रमण से गुप्त वंश का पतन होने लगा। राजा हर्षवर्धन ने अपनी मृत्यु से पहले उत्तर भारत को पुनर्गठित किया था।

पश्चिम मध्य प्रदेश मे 13 शताब्दी मे तुर्को का शासन रहा। दिल्ली की सल्तनत को हराने के बाद अन्य कई राज्यो का आविर्भाव हुआ था। जिनमे से गोरम वंश और मुस्लिम सल्तनत प्रमुख रूप से थी।

सन 1775 से 1818 मे जब मराठो का शासन चल रहा था तब ब्रिटीशो का आगमन हुआ। उन्होने मराठो को पराजित कर के उनके राज्यो के साथ संधि कर के उनपर सर्वोपरिता स्थापित की।

सन 1853 मे ब्रिटीशो ने दक्षिण-पूर्वी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र और छतीसगढ़ पर कब्जा कर लिया।

भारत देश की आजादी के बाद मध्यप्रदेश राज्य को तीन भागो मे विभाजित किया गया क, ख और ग।

इन तीनों भागो की अलग-अलग राजधानी रखी गई, जेसे भाग क की राजधानी नागपुर, भाग ख की राजधानी इंदौर और ग्वालियर एवं भाग ग की राजधानी के रूप मे रीवा रखी गई।

शुरू मे इस राज्य के 43 जिले थे। इस के बाद सन 1972 मे दो बड़े जिलो का विभाजन किया गया, सीहोर से भोपाल और दुर्ग से राजनांदगाँव को अलग किए गए।

तब जिलो की स्ंखी 45 हो गई। इस के बाद सन 1998 मे 16 जिले अधिक बनाए गए फिर जिलो क संख्या 61 हो गई।

नवंबर 2000 मे इस राज्य का दक्षिण-पूर्वी भाग को विभाजित करके छत्तीसगढ़ नाम का नया राज्य का निर्माण किया गया। और वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व मे आया।

मध्यप्रदेश का भूगोल :

मध्यप्रदेश भारत देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और यह राज्य 308 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र पर फेला हुआ राज्य है।

मध्य प्रदेश नाम से ही जाना जाता है की यह राज्य भारत देश के मध्य मे स्थित एक राज्य है। और यह राज्य चारों तरफ भू-आवेष्ठित से घिरा राज्य है।

इस राज्य का उत्तरी अक्षांश 216’ से 2630’ तक फेला हुआ है, और पूर्वी देशांतर मे 7459’ से 8266’ देशांतर तक फेला हुआ राज्य है।

यह राज्य की सब से कम सीमा गुजरात राज्य के बडोदरा जिले से छूती है और सब से ज्यादा सीमा राजस्थान राज्य से 1600 किलोमीटर तक बनाती है।

मध्यप्रदेश को तीन वृहद परदेशो मे बांटा गया है, मध्य उच्च प्रदेश, पूर्वी पठार और उत्तरी दक्कन का पठार।

इस राज्य मे सब से ऊंची चोटी धूपगढ़ (पंचमढ़ी) की है जिसकी ऊंचाई 4,429 फिट की है। मध्यप्रदेश मे सतपुड़ा मैकाल श्रेणी मे सबसे निचला प्रकृतिक हिस्सा आता है। मध्यप्रदेश का ढाल उत्तर मुखी है।

मध्यप्रदेश की नदियां :

मध्यप्रदेश की नदियों की बात करे तो यहा की सबसे प्रमुख नदी मे नर्मदा नदी है। यह नदी दरार घाटी के माध्यम से पश्चिम की तरफ प्रवाहित होती है।

इस के अलावा ताप्ती नदी भी नर्मदा नदी की तरह दरार घाटी के माध्यम से प्रवाहित होती है। नर्मदा की सहायक नदियों मे मचना, देवना, बंजार, तवा, सोनभद्र आदि नदी है।

पूरब की ओर बहने वाली नदियों मे शिप्रा, पार्वती, चंबल, कुनो, बेतवा, कालीसिंघ आदि है, जो यमुना नदी मे जा कर मिल जाती है।

नर्मदा नदी :

इस नदी को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी है, जिसे मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है। इसकी लंबाई 1312 किलोमीटर की है।

इस नदी की उत्पत्ति मैकल पर्वत के अमरकंटक शिखर से हुई है। और यह नदी मध्य भारत के मध्यप्रदेश और गुजरात राज्य मे बहने वाली एक प्रमुख नदी है।

ताप्ती नदी :

यह नदी का उद्गम स्थल मुल्ताई है। यह नदी पूरब से पश्चिम की तरफ प्रवाहित होने वाली नदी है। ताप्ती नदी को सूर्य पुत्री भी कहा जाता है।

यह नदी मध्यप्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मूलताई से निकल कर सतपुड़ा पर्वत प्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बह कर सूरत के मैदानो को पार कर के अरब सागर मे गिरती है।

शिप्रा नदी :

यह नदी एतिहासिक और प्रसिद्ध नदी है। उज्जैन मे कुम्भ का मेला इस नदी के किनारे ही लगता है। यह नदी भारत की पवित्र नदियों मे से एक है। इस नदी की लंबाई 196 किलोमीटर की है।

खनिज संसाधन :

मध्यप्रदेश राज्य खनिज संसाधनो से समृद्ध राज्य है। यहा पर ज़्यादातर मात्र मे हीरे और तांबे का भंडार है।

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