यीशु का जन्म पृथ्वी पर क्यों हुआ?

  • Post author:
  • Reading time:3 mins read

सारी सृष्टि के रचयिता परमेश्वर ने मिट्टी से अपने स्वरूप जैसा एक मनुष्य को बनाया और उसमें सांस फूंका, जो आदम कहलाता था। आदम के अपने शरीर से एक पसली लेकर और एक स्त्री का निर्माण किया , वह हव्वा थी, आदम और हव्वा ईडन के खूबसूरत बगीचे में शांति से रहते थे।

दुष्ट शैतान ने हव्वा को भरमाया , उस पेड़ का फल जिसे परमेश्वर ने खाने से मना कर दिया था, हव्वा फल खाने के मोह को नहीं रोक पाई, उसने उसे खा लिया, और आदम को भी खिला दिया। दोनों को अच्छे-बुरे का ज्ञान हो गया। भगवान ने उन्हें उस खूबसूरत बगीचे  से बाहर निकाल दिया और उन्हें रहने के लिए धरती दी। वे मजदूरी करके जीवन यापन करने लगे।

आदम और हव्वा से मनुष्य जाति बढ़ने लगी, मानवजाति को पाप से भ्रष्ट करने की शैतान की योजनाओं को पूरा करने का अवसर मिल गया। इंसानों को पापी जीवन जीते देखकर भगवान बहुत दुखी हुए। अंत में, महाप्रलय ने पृथ्वी से पूरी मानवजाति का सफाया कर दिया। सन्दूक के द्वारा केवल नूह और उसके परिवार को बचाया गया था। इतने वर्ष बीत गए। नूह के द्वारा पृथ्वी एक बार फिर से मानव जीवन से स्पंदित हुई। फिर शैतान आदमियों के बीच घुस आया।

छल-तकनीक के माध्यम से मनुष्य को फिर से एक पापी जीवन जीने के आदि  बना दिया। यह देख भगवान फिर दुखी हुए। जलप्रलय के बाद, परमेश्वर ने एक समझौता किया कि पृथ्वी को नष्ट करने के लिए जलप्रलय कभी नहीं होगा।

भविष्य की प्रतिज्ञा के अनुसार, परमेश्वर स्वयं मनुष्यजाति को पाप से मुक्त करेने के लिए आएंगे। यह पृथ्वी पर जन्म लेने का समय हो गया था।

प्रभु यीशु का मानव जाति पर दया और प्रेम कैसा था?

दया:

दो हजार बाईस साल पहले, भगवान ने स्वर्ग के आनंद को छोड़ दिया और बेथलहम के गाँव में एक चरनी(अस्तबल) में एक मानव बच्चे के रूप में जन्म लिया। चरनी में घास के बिस्तर पर विनम्र सोए हुए भगवान के बाल रूप को देखकर ही मानव जाति के प्रति उनकी दया महसूस की जा सकती है। यह स्वर्गीय बच्चा प्रभु यीशु है।

अपने तैंतीस साल के जीवन में उन्होंने संसार के लोगों को बिना पाप के जीना सिखाया। उन्होंने दृष्टांतों, उपदेशों, चमत्कारों और प्रवचनों  के माध्यम से मानव जाति के उद्धार  के लिए अथक प्रयास किया। यद्यपि वह सर्वथा निर्दोष, निष्पापी और निष्कलंक  था, फिर भी विरोधी तत्वों ने उन पर झूठा आरोप लगाया। उन्हें बेरहमी से सूली पर चढ़ाया गया। इस कष्टदायी दर्द को सहने के बजाय, उसने उन लोगों के बचाव के लिए प्रार्थना की जिन्होंने खुद को कीलों से ठोंक लिया था। अर्थात उनकी यह इच्छा थी कि किसी भी  पापी मनुष्य का नाश न हो।

प्रेम:

मानव जाति के लिए उनके मन में कितना महान प्रेम है! उन्होंने समस्त मानव जाति को पाप से मुक्त करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया।

आज हो रही मानव निर्मित घिनौनी हरकतों की शर्मनाक क्रूरता हमें झकझोर कर रख देती है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण अचानक हुए नरसंहार को देखकर हमारा दिल पसीज जाता है। आए दिन कई छोटी-बड़ी परेशानियों को लेकर हत्या-आत्महत्या की घटनाएं हो रही हैं। संत जीवन जीने वाले सत्संगियों के आंतरिक जीवन अत्यधिक भ्रष्ट होने के उदाहरण कम नहीं हैं। विषयवाक् और वर्णन के लिए अच्छा बोलने वाले ही इसका उल्लंघन करते हैं। संसार के उन लोगों को भगवान दु:ख के साथ पुकारते हैं जो नैतिक मार्ग को छोड़कर अधर्म की ओर भागते हैं।

आइए हम इस धीमी मधुर प्रेमपूर्ण आवाज को सुनकर पश्चाताप के उदार झरने में स्नान करें, शुद्ध, पवित्र और विश्वासयोग्य बनें और एक दूसरे के साथ प्रेम बांटकर यीशु के जन्म के उद्देश्य को महसूस करें।

यीशु ख्रिस्त का शांति के लिए अच्छा संदेश क्या है?

आज हर इंसान का दिल शांति के लिए तरस रहा है। दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाले मानव मन की लालसा ही शांति है। अच्छा प्रभु यीशु शांति के राजकुमार के रूप में इस दुनिया में शांति का अपना राज्य स्थापित करने के लिए आए थे।

पवित्र बाइबल कहती है कि शांति स्थापित करने वाले सुखी होते हैं। क्योंकि वे परमपिता की सन्तान कहलायेंगे। अनेक मनुष्यों ने पाप के कारण अपने मन की शांति खो दी है। मानव हृदय से शांति के लुप्त होने के फलस्वरूप आज मनुष्य मे  मानवता ही नहीं रही है।

परिणाम स्वरूप आज का मनुष्य विश्वासहीन, अधीर, क्रूर, निर्दयी हो गया है। जिसके कारण , एक साथी इंसान के साथ वह प्यार से नहीं रह शकता।

यीशु को शांति का राजकुमार क्यों कहा जाता है?

पवित्र बाइबल कहती है कि हमे अच्छे बच्चे के रूप मे  हमें एक पुत्र (यीशु) दिया गया है। उन्हें दुनिया भर में शासन दिया गया है। उन्हें अद्भुत मंत्री, अनन्त पिता, शांति के राजकुमार का नाम दिया गया है।

एक दिन प्रभु यीशु और उनके शिष्य समुद्र पर यात्रा कर रहे थे। प्रभु यीशु थकान के कारण सो गए और समुद्र में एक बड़ा तूफान उठा। नाव डूबने लगी। चेले डर गए और कहने लगे, हे प्रभु, हमें बचाइए , हम नाश हो रहे हैं। प्रभु यीशु जाग गए। उस ने आँधी को डाँटा और समुद्र को शान्त रहने को कहा, और बड़ी शान्ति हो गई, और चेले चकित होकर कहने लगे कि यह कौन है जो वायु और समुद्र को आज्ञा देता है, और वे उस की आज्ञा मानते हैं।

प्रियजन, प्रभु जो समुद्र के तूफान को शांत कर सकते हैं वह हमारे जीवन के हर तूफान को शांत कर सकते हैं और हमें सच्ची शांति प्रदान कर सकते हैं।

दुनिया मे अशांति का क्या कारण है?

पवित्र बाइबल कहती है कि यीशु मसीह हमारी शांति हैं। आज दुनिया हंगामे, उथल-पुथल, युद्ध के माहौल से भरी है। दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। यह कभी भी शुरू हो सकता है। आज, लोगों के बीच, देशों के बीच, राष्ट्रों के बीच उदासीनता, घृणा और नफरत  है। हर तरह के पाप, अन्याय, भ्रष्टाचार हो रहे है। आए दिन हत्या होती है।

दिन मे भी  महिलाओं और छोटी लड़कियों का बलात्कार और हत्या कर दी जाती है। छोटे बच्चों का अपहरण किया  जाता है। उनके शरीर के अंगों का व्यापार होता है। आज दुनिया में कोई भी सुरक्षित नहीं है।  क्यों? –

UNO की स्थापना विश्व में शांति स्थापित करने के लिए की गई है, लेकिन UNO को सफलता नहीं मिली है।

क्या कराण है?-

पवित्र बाइबल हमें बताती है कि पाप करके मनुष्य पवित्र परमेश्वर से दूर हो गया। परिणामस्वरूप, प्रेमी परमेश्वर के साथ आत्मिक संबंध टूट जाता है। मानव हृदय बेचैन हो गया। उस टूटे रिश्ते को फिर से स्थापित करने के लिए प्रभु यीशु मानव जाति को मानकर इस दुनिया में आए और अपने शरीर के पवित्र बलिदान के माध्यम से मनुष्य और ईश्वर के बीच प्रेमपूर्ण संबंध (पिता-पुत्र) को फिर से स्थापित किया है। इसके द्वारा मानव जाति को पाप के भयानक दंड से मुक्त किया गया है।

दुनिया मे शांति कैसे लाये?

पवित्र बाइबल कहती है कि परमेश्वर और मनुष्य के बीच केवल एक ही मध्यस्थ है और वह है यीशु मसीह।

वह शांति के सरदार  घोषणा करता है कि मेरे बच्चों, मैं तुम्हें अपनी शांति देता हूं। जो दुनिया नहीं दे सकती। मैं तुम्हें वह दिल देता हूं, मन की शांति। मृतकों में से जी उठने के बाद, प्रभु यीशु शिष्यों के सामने प्रकट होते हैं और शांति का संदेश देते हैं।

शांति तुम्हारे साथ हो मेरे बच्चों।

जैसा कि यीशु मसीह शांति के स्रोत है, सरदार है,  वह अधिकार से कह सकते है, मेरे पास आओ, तुम सब जो श्रम करते हो और बोझ से दबे हो, और मैं तुम्हें जीवन में आश्चर्य और शांति दूंगा।

प्रिय पाठकों, हां, शांति के राजकुमार, शांति के सरदार के पास एक प्रस्तावित हृदय के साथ आकर, उन्हें स्वीकार करके, हम अपने दिल और दिमाग में सच्ची शांति का अनुभव कर सकते हैं। ऐसा करने से दुनिया से हर तरह की कड़वाहट, नफरत, हर तरह की अपवित्रता, भ्रष्टाचार दूर हो जाएगा।

मानव हृदय में सच्ची शांति का अनुभव होगा। विश्व में शांति, प्रेम, भाईचारा स्थापित होगा। हम सब एक पिता की संतान हैं। वह वसुधैव परिवार की भावना को स्थापित करेगा।

प्रिय पाठकों, महान प्रेमी ईश्वर पिता हम सभी से कामना करते हैं कि हम उनकी स्वर्गीय कृपा, ज्ञान, बुद्धि और विनम्र हृदय से दुनिया में सच्ची शांति स्थापित करने के लिए उनकी शाश्वत योजना को समझें, स्वीकार करें और उसका पालन करें।

Nice Days

We are residents of the country of India, so whatever information we know about our country such as Technology, History, Geography, Festivals of India, Faith, etc. All information given in Hindi language.

Leave a Reply