“भले ही मैं तुम्हें नौकरी देता हूं, मुझे विश्वास नहीं होता कि तुम ईमानदारी से काम करोगे” इंटेरव्यू के लिए आए युवक से कंपनी के मालिक ने कहा :
‘मुझे यकीन है कि आप मुझे अपनी कंपनी में नौकरी देंगे। आज सात और इंटरव्यू के निमंत्रण थे, लेकिन चूंकि आपकी कंपनी की प्रतिष्ठा अधिक है, इसलिए मेरी अंतरात्मा ने कहा कि आपको इस कंपनी में जाना चाहिए। मूल बात श्रद्धा और विश्वास है। आप मुझे एक मौका जरूर देना चाहोगे।’ – युवक ने कहा।
इसी बीच दूसरी कंपनी का मैनेजर वहां पहुंचा। उसने कहा, मि. ऋत्विक, आपका बायोडाटा पढ़ने के बाद हमने आपको इंटरव्यू के लिए बुलाया है। हमें विश्वास है कि हमारी कंपनी में आपका योगदान महत्वपूर्ण होगा।’
लेकिन मैं आपकी कंपनी से परिचित नहीं हूं। मुझे लगता है की आप मुझे अस्थायी रूप से काम पर रखोगे। धन्यवाद, लेकिन मेरे पास काम पर कुछ अनोखे विचार हैं। ‘विश्वास के बिना परिश्रम व्यर्थ है।’
मेरा विश्वास मुझे दृढ़ विश्वास के साथ कार्य करना सिखाता है। विश्वास में व्यक्ति दूसरों की ताकत पाता है। जरूरत पड़ी तो मैं आपकी कंपनी मे जरूर काम करूंगा’
इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति ने कहा: ‘लीजिए मि. ऋत्विक धताड़, यह है आपका नियुक्ति पत्र। अब खुद को पेश करें। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता। इंटरव्यू लेने वाली कंपनी के डायरेक्टर मि. धीरेन ने कहा।
संदेह करना व्यर्थ क्यों है?
मनुष्य को परखना भी एक कला है। अगर यह अच्छा या बुरा निकला? ऐसा संदेह करना व्यर्थ है। जिस काम में विश्वास नहीं होता है उस काम मे बरकत भी नहीं आती है।
जीवन जीने के लिए इंसान सांस लेना जरूरी है और यह क्रिया चलती ही रहेगी, एसी श्रद्धा व्यक्ति में होती है। विश्वास जीवन की नाव की ‘पतवार’ है। विश्वास एक जहाज नहीं बल्कि पूरा जीवन चलाता है।
विश्वास रखना क्यों जरूरी है?
मनुष्य को विश्वास है कि रात के बाद सूर्य उदय होगा और मैं उसे देखने के लिए जीवित रहूंगा। यौवन यानि आस्था, यौवन यानि आज और कल में अटूट विश्वास वाला मनुष्य, आस्था और विश्वास के कारण ही वैज्ञानिक नई-नई खोजें कर पाए हैं। तपस्वी भी आस्था के आधार पर तपस्या करते हैं। एक योद्धा जीत के विश्वास के साथ युद्ध में आता है।
महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन का विश्वास डगमगा गया था, इसलिए श्री कृष्ण ने अपने सार के माध्यम से भगवद गीता का पाठ किया और अर्जुन की सभी शंकाओं का समाधान किया।
विश्वास के विषय मे महाभारत क्या कहता है?
महाभारत का स्पष्ट मत है कि जो विश्वसनीय नहीं है उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। और जो विश्वास के योग्य है उन पर भी अतिविश्वास अर्थात अंधविश्वास नहीं करना चाहिए।
ईशकृपा का द्वार उनके लिए नहीं खुलता, जिन्हें स्वयं पर विश्वास नहीं होता। प्यार में डूबे जोड़े मोह के कारण अति आत्मविश्वासी होते हैं और वफ़ादारी के मौखिक वादे करते हैं, लेकिन उनमें विश्वास की कमी के कारण अतृप्ति हो सकती है।
महात्मा गांधीजी की क्या सलाह है?
महात्मा गांधी ने चमन हवी को लिखे अपने पत्र में सलाह दी थी कि किसी भी बात पर एकदम से भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि सावधानीपूर्वक जांच के बाद ही वस्तु या व्यक्ति पर भरोसा करना चाहिए। जिसकी भावना डगमगा रही होती है, उस पर विश्वास नहीं करना एक व्यावहारिक दृष्टिकोण है।
‘कायम’ नाम के शायर कहते हैं।-
किस बात पर तेरी, मै करू एतबार,
इकरार एक तरफ है, तो इनकार इस तरफ’।
कैसे लोगो पर भरोसा करना चाहिए?
शेक्सपियर ने कहा है कि, प्यार सबसे करो, लेकिन भरोसा कुछ लोगो पर ही करना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि जिस व्यक्ति ने आपको एक बार धोखा दिया है, उस पर दोबारा भरोसा न करें। आस्था कामधेनु के जैसी है, अगर उसे दुहने वाला आपको दुहने की कला जानता है, तो विश्वास एवरेस्ट है।
यदि पर्वतारोही को अपनी सर्वोच्च चोटी पर पहुँचने का विश्वास है, तो वह विश्वास ही उसकी मंजिल तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करेगा। विश्वास पैदा करने के लिए झूठे वादे नहीं करने चाहिए।
अटूट विश्वास किसे कहते है?
राजनेता प्रचार और प्रचार से जुड़े साहित्य में विश्वास करने को कहते हैं। और भोले-भाले लोग इनके बहकावे में आ जाते हैं। कुकर्मी का कभी भी भरोसा मत करना, भरोसा ऊपरवाले की देन है और इसे जल्दी से बर्बाद नहीं करना चाहिए। आस्था का अर्थ है ईश्वर पर अटूट विश्वास, ऐसा विश्वास किसी के उपदेश से नहीं अपितु स्वयं की प्रेरणा की दृष्टि से पैदा होना चाहिए।
सावित्री जानती थी कि सत्यवान अल्पायु है, लेकिन पतिव्रता पत्नी बन गई और उसकी सेवा की। उनका मानना था कि वह मृत्यु आदि के सामने भी दृढ़ विश्वास के साथ खड़ी रहेंगी। और एसे ही विश्वास के साथ उसने यमराज को पराजित किया और सत्यवान का जीवन वापिस मांग लिया।
अटूट विश्वास की एक कहानी :
यहाँ पर एक कहानी के अनुसार विश्वास की प्रबल शक्ति का आलेखन किया गया है। –
एक समय एक गांव में अकाल पड़ा। और हंगामा हो गया। गांव के पंचों ने पंचायत बुलाई। और यह निर्णय लिया गया की, अप्रसन्न ग्राम देवता की पूजा करने से वर्षा हो सकती है।
मंदिर के पुजारी को ग्राम देवी की कृपा प्राप्त करने का उपाय पूछा, पुजारी ने कहा कि यज्ञ किया जाए। घर के सभी युवा और वृद्ध यज्ञ में उपस्थित हों और यज्ञ में आहुति दें।
पूनम के दिन लोग पूजा सामग्री लेकर यज्ञ में पहुंचे। लोग बारी-बारी से आहुति देने लगे। घंटों तक आहुति देने के बावजूद आसमान में बादल नहीं दिखे। भीषण गर्मी से लोगों का सब्र टूटने लगा। किसी ने पुजारी जी से पूछा: यज्ञ पूरा होने को है, पर बादलों का नामोनिशान दूर तक आकाश में दिखाई नहीं देता।
ग्राम देवी ने यज्ञ को स्वीकार नहीं किया या लगता है की कोई आहुति देने नहीं आया उसके कारण यज्ञ की शर्त पूरी नहीं हुई। एक बूढ़ा व्यक्ति खड़ा हुआ और बोला, ‘मेरा बेटा आहुति देने नहीं आया है।
तो उसे जल्दी बुलाओ। पुजारी ने कहा। –
तभी एक सात-आठ साल का बालक आता दिखाई दिया। उनके एक हाथ में पूजा की थाली और बगल में छाता था। जब लड़का पास आया, तो ग्राम प्रधान ने उसे धमकाया और कहा- तुम्हारे कारण, सभी प्रयास व्यर्थ गए, यहाँ से चले जाओ।
लड़के ने बड़े साहस के साथ स्पष्ट किया- ‘मुखियाजी, मुझे फल-फूल लेने में देर हो गई। उसके बाद मैंने सोचा कि बारिश होगी तो, मैं और मेरी माँ भीग जायेंगे। इसलिए मैं छाता लेने अपने दोस्त के गांव गया, इसलिए देर हो गई।’
पुजारी ने कहा, इस बालक को यज्ञ कुंड में आहुती देने दो। जिससे यज्ञ का संकल्प सिद्ध हो। बालक ने यज्ञ कुंड के पास जाकर माता को छाता दिया और यज्ञ कुंड में आहुति अर्पित की।
और एक चमत्कार हुआ। बादलों ने आसमान को ढक लिया। बिजली चमकी और बारिश हुई। गामदेवी का स्वागत किया गया। मुखियाजी ने चिढ़कर उस लड़के से कहा। ‘देखो, तुम्हारी वजह से बारिश नहीं हो रही थी।’ पुजारी ने कहा ‘आप गलत बोल रहे हो’।
मुखिया ने कहा- मैं सच बोल रहा हूं, अगर यह लड़का छाता लेकर आने मे समय खराब न करता तो बारिश पहले आ गई होती। यदि यह बालक बिना छाते के आता तो वर्षा न होती, इस बालक को आहुति पर विश्वास था कि वर्षा होगी। लड़के के विश्वास की जीत हुई।
विश्वास के बारे में कौन-सी छः बात ध्यान मे रखनी चाहिए ?
1. काम के प्रति दिल से विश्वास और श्रद्धा होनी चाहिए।
2. विश्वास ही सफलता दिलाएगा एसा आत्मविश्वा रखना चाहिए।
3. विश्वास ही रेगिस्तान को झील में बदल सकता है।
4. विश्वास के लिए श्रद्धा और भरोसे की आवश्यकता होती है ।
5. शुद्ध विश्वास ईश्वर का दूसरा रूप है। भगवान ने भी मनुष्य मे से आस्था और विश्वास नहीं खोया है।
6. जीत का विश्वास हो और जीत के लिए संघर्ष करो तो तुम्हें कोई हरा नहीं सकता, विश्वास में विवेक दिखाओ, अंधविश्वास करने के बजाय पूरी जांच पड़ताल के बाद ही विश्वास करना चाहिए।