महाशिवरात्रि परिचय :
भगवान शिव की आराधना करनेका पर्व जिसे हम “महाशिवरात्रि” के नाम से मनाते है, जो हिन्दुओ का धार्मिक और महत्व का त्यौहार माना जाता है।
इस दिन देवो के देव महादेव की पूजा अर्चना करते है। वैसे तो प्रत्येक महीने मे एक शिवरात्रि होती है, परंतु फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आनेवाली इस शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है। इसलिए इसे “महाशिवरात्रि” कहा जाता है।
ॐ नमःशिवाय इस मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है। नमः शिवाय यह पंचाक्षरी मंत्र तथा ॐ के साथ षडाक्षरी मंत्र भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि Mahashivratri त्यौहारके पीछे शिकारी और एक हिरण की कथा प्रचलित है:
अपने घर मे रहने वाले सभी परिवारजनो के खाना खाने के लिए, एक बड़े से जंगल मे मास का आहार ढूँढ रहा था एक शिकार करने वाला आदमी, उसका जंगल में दिन का पूरा समय शिकार ढूंदने मे लग गया था, फिर भी उसे कुछ नहीं मिला था,
इस के कारण वह शिकारी हताश हो गया था। उसी दौरान अचानक उसकी नज़रहिरणों के झुंड पर पड़ी। उसने एक हिरण को मारने के लिए तीर चलाने गया,तब उस हिरण ने उसे रोका, उसने शिकारी से विनती की के उसके बच्चे भूखे – प्यासे है, हिरण ने अपने बच्चो को खिलाकर वापस आने का वादा किया, और सुबह होने से पहले उपस्थित होने के लिए अनुरोध किया। शिकारी ने बड़े संकोच से हिरण को जाने दीया।
शिकारी को पूरा दिन भूखा रहना पड़ा। और वह पूरी रात पास के एक बेलपत्र के पेड़ पर रहा। दिन भर भूखे प्यासे शिकारी को पूरी रात नींद नहीं आई। अनजाने मे ही वो बेलपत्र के पत्ते तोड़कर नीचे फेक ने लगा, उसी बेलपत्र के पेड़ के नीचे महादेवजी का शिवलिंग था।
शिकारी दिन मे भूखा और रात्रि-जागरण कर अनजाने मे हीशिवलिंग पर बेलपत्र का अभिषेक होने पर शिवजी प्रसन्न हुए। शिकारीके मन में करुणा जाग उठी। जैसा कि वादा किया गया था, हिरण सुबह अपने बच्चो के साथ शिकारी के पास आई।
हिरण और उनके सभी बच्चे बलिदान के लिए तैयार थे। लेकिन भगवान शिव की कृपा से शिकारी का ह्रदय परिवर्तन हो गया। हिरण और उसके सभी बच्चो को शिकारीने जीवनदान दिया। सभी शिवलोक गए।

महाशिवरात्रि Mahashivratri का अर्थ।
शिव का अर्थ ही ‘कल्याणकारी’ होता है । कल्याणकारी शिव महाशिवरात्रि के दिन सबकी मनोकामना पूरी करते है। इस दिन भगवान शिव के मंदिरोमे भक्तो की भीड़ लगती है। शिवभक्त इस दिन उपवास रखते है, और शिव की आराधना करते है ।
अलग अलग राज्यो मे अलग अलग तरीके से महाशिवरात्रि की पूजा-अर्चना होती है। शिव को दूध का अभिषेक किया जाता है, बेलपत्र चड़ाया जाता है, एवं शिवजी को धतूरा अधिक प्रिय है, शिव को इस दिन फल आदि अर्पित किया जाता है।
महाशिवरात्रि के विषय मे कई कथाए प्रचलित है। कई विद्वानो का मानना है की भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन विवाह किया था। कहा जाता है की इसी दिन भगवान शिवने “कालकूट” नाम का विष पिया था, जो सागर मंथन के समय समुद्र से निकला था।
महाशिवरात्रि Mahashivratri का बड़ा महत्व है।
इस दिन शिवभक्त रातभर कीर्तन करते है, तो कई भकत उपवास करते है। उपवास का अर्थ होता है, उप यानि ‘निकट’ और वास का अर्थ है ‘निवास’ । भगवान के निकट निवास करना यह उपवास का अर्थ है।
महादेव को भोले भी कहा जाता है, क्योंकि भगवान शिव अपने भक्तो पर अपनी कृपा–द्रष्टि बनाए रखते है। भक्ति मार्ग से ही भगवान शिव के निकट रहा जाता है ।
शिव अजन्मा है, अर्थात शिव का ना आदि हे ना अंत। शिव ने पूरे ब्रहमाण्ड की रचना की है । शिव अंतर्यामी है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव से जो भी मांगो वो मिल जाता है।